Shiv Chalisa महदेव सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है । वह त्रिदेवों में एक देव हैं । इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है । नित्य नियम से शिव चालीसा पढणी जरुरी है । सनातन धर्म मी शिव चालीसा को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है । Shiv Chalisa का ध्यान से मनुष्य प्रसन्न होता है । shiv chalisa हिंदी में pdf.शिव चालीसा लिखित मे.
वेद में उनका नाम रुद्र है । शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है । सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं।शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है । मनुष्य आपने जीवन को सार्थक बनाना चाहता है । तो उसे शिव चालीसा का पाठ करणा चहिए , प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ व्यक्ति के मन में साहस और शक्ति का संचार करता है जिससे वो हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। ज्योतिषशास्त्र में लिखा है shiv chalisa का पाठ करणा चहिए. व्यक्ति के जीवन में शिव चालीसा का बहुत महत्व है ।
शिव चालीसा
शिव चालीसा का हिन्दू धर्म में क्या महत्व है
शिव चालीसा हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित भक्ति भजन के रूप में महत्वपूर्ण महत्व रखती है। शिव चालीसा के महत्व के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:
भक्ति अभ्यास:- Shiv Chalisa एक श्रद्धेय भक्ति रचना है जिसे भक्त गहरी श्रद्धा और भक्ति के साथ जपते या गाते हैं। यह भगवान शिव के प्रति प्रेम, आराधना और समर्पण व्यक्त करने के साधन के रूप में कार्य करता है। शिव चालीसा का पाठ करके भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद,सुरक्षा और कृपा प्राप्त करते हैं।
स्तुति और विशेषताएँ:- Shiv Chalisa में चालीस छंद शामिल हैं जो भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं,गुणों और विशेषताओं की महिमा करते हैं। यह उनके दैवीय रूप,बुराई के विनाशक के रूप में उनकी भूमिका,उनकी परोपकारिता,लौकिक सृष्टि में उनकी भूमिका और उनके भक्तों के प्रति उनकी करुणा की प्रशंसा करता है। भजन भक्तों को भगवान शिव के दिव्य गुणों में डूबने की अनुमति देता है।
आध्यात्मिक उत्थान:- Shiv Chalisa एक आध्यात्मिक उपकरण के रूप में कार्य करता है जो मन की शुद्धि और आंतरिक चेतना के जागरण में सहायता करता है। शिव चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने या सुनने से,भक्त आध्यात्मिक उत्थान,आंतरिक शांति और भगवान शिव के साथ गहरा संबंध चाहते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह मन को शांत करने,नकारात्मकता को दूर करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।
सीखना और स्मरण:- Shiv Chalisa भक्तों को भगवान शिव से जुड़ी पौराणिक कथाओं, किंवदंतियों और शिक्षाओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है। यह भगवान शिव के दिव्य गुणों और दुनिया में उनकी उपस्थिति के महत्व का एक संक्षिप्त लेकिन व्यापक अवलोकन प्रदान करता है। शिव चालीसा का पाठ करके,भक्त भगवान शिव के दिव्य गुणों की अपनी समझ और स्मरण को सुदृढ़ करते हैं।
समुदाय और एकता:- Shiv Chalisa हिंदू समुदायों में एक एकीकृत शक्ति रखती है। यह अक्सर धार्मिक समारोहों,त्योहारों और भगवान शिव को समर्पित विशेष अवसरों के दौरान सामूहिक रूप से सुनाया जाता है। शिव चालीसा का साझा पाठ भक्तों के बीच एकता,भक्ति और सामूहिक साधना की भावना को बढ़ावा देता है।
सांस्कृतिक महत्व:- Shiv Chalisa,अन्य भक्ति भजनों की तरह,हिंदू धर्म के भीतर सांस्कृतिक महत्व रखती है। यह धर्म की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करते हुए, पीढ़ियों से पारित किया गया है। शिव चालीसा की धुन,लय और गीत ने शास्त्रीय और लोक परंपराओं में विभिन्न संगीत रचनाओं,प्रदर्शनों और कलात्मक अभिव्यक्तियों को प्रेरित किया है।
व्यक्तिगत संबंध:- Shiv Chalisa भक्तों को भगवान शिव के साथ एक व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने की अनुमति देती है। यह एक माध्यम के रूप में कार्य करता है जिसके माध्यम से लोग भगवान शिव के प्रति अपनी हार्दिक प्रार्थना,आकांक्षा और कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं। शिव चालीसा का पाठ करने से,भक्त परमात्मा के साथ अपने व्यक्तिगत संबंध को गहरा करते हैं और उनकी भक्ति में एकांत पाते हैं।
।। दोहा ।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
॥ श्री शिव चालीसा चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥
मैना मातु की है दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी ॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ कीन्ह दया तहँ करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ जय जय जय अनंत अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै ॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥ मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥ धन निर्धन को देत सदाहीं । जो कोई जांचे वो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं ॥ नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है शम्भु सहाई ॥ ऋनिया जो कोई हो अधिकारी पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा । तन नहीं ताके रहे कलेशा ॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
।। दोहा ।।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा । तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
Video :-
Credit – T-Series Bhakti Marathi
FAQ :-
- शिव चालीसा किसने लिखी थी ? – शिव चालीसा अवधी में लिखी शिव (भोलेनाथ) को समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है। इसके रचयिता अयोध्यादास जी हैं।
- शिव चालीसा कब पढ़नी चाहिए ? – शास्त्रों के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शंकर का दिन माना गया है, इसलिए सोमवार के दिन इसका पाठ करना विशेष फलदायी होता है.
- शिव चालीसा पढ़ने के क्या फायदे हैं ? – अपने जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए करता है । व्यक्ति के जीवन में शिव चालीसा का बहुत महत्व है ।
- शिव चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए ? -शिव चालीसा का3, 5, 11 या फिर 40 बार पाठ करें
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शिव चालीसा आरती :–
शंकरं, शंप्रदं, सज्जनानंददं, शैल कन्या वरं, परमरम्यं काम मद मोचनं, तामरस लोचनं, वामदेवं भजे भावगम्यं ॥1॥
कंबु कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं कुंदेंदु सिद्ध – सनकादि – योगींद्र – वृंदारका, विष्णु – विधि – वन्द्य चरणारविंदं ॥2॥
– ब्रह्म कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं विकट – वेषं, विभुं वेदपारं नौमि करुणाकरं, गरल गंगाधरं, निर्मलं, निर्गुणं, निर्विकारं ॥3॥
लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं कालकालं, कलातीतमजरं, हरं, कठिन – कलिकाल – कानन – कृशानुं ॥4॥
तज्ञमज्ञान पाथोध घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं प्रचुर – भव – भंजनं, प्रणत – जन – रंजनं, दास तुलसी शरण सानुकूलं ॥5॥
॥ ॐ नमः शिवाय ॥